राम का जन्म अयोध्या में नहीं: इस देश में हुआ था”राम का जन्म कहां हुआ था
Ram mandir:अगर मैं आपसे कहूं कि राम अयोध्या में नहीं पैदा हुए थे तो आप भी यकीन नहीं मानेंगे क्योंकि जिनके जन्म को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई हो, बाबरी मस्जिद को गिराया गया हो, फिर उनके जन्म के बारे में कैसे यकीन करेंगे? लेकिन मैं ये बिना सिर पैर की बात नहीं कर रहा है ना? ये मेरी मनगढ़ंत बात है बल्कि इतिहास ऐसा कह रहा है। राम का जन्म अयोध्या में नहीं बल्कि अफगानिस्तान के में हुआ था। राम के जन्म को लेकर कई लोगों ने कई दावे किए हैं। एक ताजा दावा तो उस वक्त ही किया गया जब अयोध्या में राम मंदिर को बनाने के लिए जमीन खरीदने का सिलसिला चल रहा था। ये दावा हुआ भारत के पड़ोसी मुल्क नेपाल से।
राम का जन्म नहीं अफगानिस्तान में हुआ था
यूपी के अयोध्या से तकरीबन 243 किलोमीटर की दूरी पर नेपाल में है। थोड़ी नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा, भगवान राम का जन्मस्थल अयोध्या में नहीं, बल्कि नेपाल में बीरगंज के नजदीक थोड़ी है। भगवान राम भारतीय नहीं नेपाली थे। असली अयोध्या भारत में नहीं, नेपाल के बीरगंज में हैं, हैं ना कमाल की बात जहाँ भारत में श्रीराम का जन्म स्थल बाबरी मस्जिद को बताकर ढांचे को गिरा दिया गया है। नेपाल का दावा हैरान करने वाला था, लेकिन इसके पहले के दावों पर जाये तो इतिहासकारों ने अलग अलग राम का जन्मस्थान बताया है। किसी ने अफगानिस्तान का, किसी ने ईरान तो किसी ने हरियाणा
राम का इतिहास राम का जन्म कहां हुआ
लेकिन इन सब में मजबूती से और गंभीरता से जिसने दावा किया उस इतिहासकार का नाम है श्याम नारायण पाण्डेय। उन्होंने 1992 में किताब लिखी। किताब का नाम है जिओग्राफी ऑफ अयोध्या। इस किताब में श्याम नारायण ने दावा किया कि वर्तमान में अफगानिस्तान में एक शहर है हेरात। ये अफगानिस्तान के पश्चिम में है और हेरात व्यापार का केंद्र रहा है। यहाँ से पश्चिम के देश भारत और चीन के साथ व्यापार करते रहे। इसी शहर में राम का जन्म हुआ था। इसी के साथ ही उन्होंने किताब के इंडेक्स में तीन टाइटल दिए। अयोध्या इन वेस्ट बंगाल
5 साल बाद 1996 में भारतीय हिस्टरी कांग्रेस के 58 वें सत्र में उन्होंने हिस्टोरिकल राम डिस्टिंग्विश फ्रॉम गॉड राम का पाठ किया। श्याम नारायण ने इस पेपर में वैदिक ग्रंथों का हवाला दिया और अपने दावे को प्रतीक खोजों से जोड़कर सही साबित करने की कोशिश की। साल 2000 में एक और किताब आयी द वैदिक पीपल देर हिस्टरी ऐंड जियोग्राफी। इसके लेखक है राजेश कोचर। राजेश ने भी राम जन्मस्थान अफगानिस्तान ही बताया। उन्होंने लिखा, अफगानिस्तान की हरी रोड या
रिवर ही मूल सरयू नदी है और अयोध्या इसी के तट पर थी। लिहाजा अयोध्या की तलाश इसी नदी पर की जानी चाहिए ना की आधुनिक साथियों के किनारे। मौजूदा सरयू के किनारे के बारे में लिखा। इसका नाम सरयू बाद की पीढ़ियों के अप्रवासियों ने अपने मातृभूमि की याद में रखा। राजेश को शेर दावा करते हैं कि राम के पूर्वज पश्चिमी अफगानिस्तान, पूर्वी ईरान इलाके में ही रहते थे। 1998 में पुरातत्व कृष्णा राव ने भी एक दावा किया। उन्होंने राम का जन्मस्थान हरियाणा में बता दिया।
राम का जन्म किस जगह पर हुआ था कहां और कैसे
हरियाणा में बनावली नाम से एक हड़प्पाकालीन जगह है। ये सूख चुकी सरस्वती नदी के तट पर है। उसी को रावण ने राम की जन्मभूमि बताया। राव ने ये दावा सिंधु घाटी सभ्यता के विभिन्न अवशेषों में पाए गए शील्ड मोहरों पर शोध करने के बाद किया। राव का दावा है कि 1700 ईसा पूर्व मध्य एशिया में सुमेरिया के लार्स में एक शक्तिशाली राजा ने शासन किया था। रिम्स इन नाम का वो राजा ही वास्तव में राम थे। सुमेरिया और सिंधु नदी तक फैले हुए एक क्षेत्र तक उनका शासन था। वो यहीं नहीं रुके। उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर एक साहसिक टिप्पणी की। उन्होंने कहा
1975 में प्रख्यात पुरातत्वविद् ब्रजवासी लाल के नेतृत्व में अयोध्या क्षेत्र में एक खुदाई की गई। 1980 में इसे अचानक बंद कर दिया गया क्योंकि यहाँ कुछ भी नहीं मिला था। एक झटका साल 2015 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अब्दुल रहीम कुरैशी ने दिया। उन्होंने एक पेपर में फैक्स ऑफ अयोध्या एपिसोड प्रकाशित किया जिसमें दावा किया कि राम का जन्म पाकिस्तान के रहमान देरी में हुआ था। उन्होंने अपनी रिसर्च को साबित करने के लिए एएसआइ के एक पूर्व अधिकारी राम के लेखन का हवाला दिया।
लखराम कहाँ पैदा हुए? इस बारे में जब फ्रंटलाइन ने एक इतिहासकार डीएन झा से सवाल किया तो उन्होंने जवाब दिया जन्म स्थान शब्द किसी भी ग्रंथ में मौजूद नहीं है। स्कंदपुराण एक अनाकार ग्रंथ है और इसकी रचना 14 वीं शताब्दी से लेकर 18 वीं शताब्दी तक चली। सिर्फ 18 वीं शताब्दी के अंतिम चरण में जन्मस्थान का जिक्र है तो जन्मस्थान का विचार 19 वीं सदी की उपज है। ये देखना अहम है कि पहले के काल में हमें अयोध्या से कोई मूर्ति नहीं मिली। यूपी की म्यूज़ियम में दो या तीन कैटलॉग है। एक लखनऊ, एक इलाहाबाद.
और एक फैज़ाबाद यानी अयोध्या में किसी भी कैटलॉग में राम का उल्लेख नहीं है। अब अहम सवाल आता है तो क्या राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी?
इसका जवाब तो रामचरितमानस तक में नहीं मिलता है। तुलसीदास का जीवन काल 1511 से लेकर 1623 तक रहा और मुगल बादशाह बाबर का जीवन काल 1483 से 1530 तक रहा। तुलसीदास ने राम और अयोध्या का सुंदर और जीवंत वर्णन किया है लेकिन उन्होंने ये कही नहीं लिखा है कि राम मंदिर को तोड़ा गया।
साल 2009 में फ्रंटलाइन को दिए इंटरव्यू में इतिहासकार कहते हैं, बाबरी मस्जिद का निर्माण।